Bengal Junior Doctor in Protest: पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में सलाइन कांड के खिलाफ 12 डॉक्टरों के निलंबन के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दिया है. शुक्रवार सुबह आठ बजे से जूनियर डॉक्टरों ने निलंबन के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने सलाइन मामले में 12 डॉक्टरों को निलंबित करने का फैसला किया है. इनमें छह जूनियर डॉक्टर (पीजीटी) भी शामिल हैं. मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने छह जूनियर डॉक्टरों को निलंबित करने के फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है. स्त्री रोग और एनेस्थीसिया विभाग के जूनियर डॉक्टर गुरुवार रात से हड़ताल पर हैं. उन्होंने घोषणा की है कि शुक्रवार सुबह आठ बजे से अस्पताल के अन्य सभी विभागों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो जाएगी.
मिदनापुर मेडिकल के जूनियर डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि जब तक छह जूनियर डॉक्टरों को निलंबित करने का आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी.
गुरुवार दोपहर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सलाइन घोटाले के सिलसिले में 12 डॉक्टरों को निलंबित करने का आदेश दिया. सूची में छह पीजीटी मेडिकल छात्र शामिल हैं: मौमिता मंडल, पूजा साहा, जागृति घोष, भाग्यश्री कुंडू, मनीष कुमार और सुशांत मंडल। इसके अलावा अस्पताल अधीक्षक, आरएमओ समेत अन्य डॉक्टर भी हैं.
निलंबन आदेश के तुरंत बाद मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने एक बैठक की. बैठक शाम 4 बजे शुरू हुई. अंततः रात करीब साढ़े नौ बजे उन्होंने मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल मौसमी नंदी को ईमेल भेजकर हड़ताल पर जाने के अपने फैसले की जानकारी दी.
सर्विस डॉक्टर्स फोरम ने निलंबन वापस लेने की मांग की
दूसरी ओर, सर्विस डॉक्टर्स फोरम के महासचिव डॉ सजय विश्वास ने कहा कि मिदनापुर मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिला की मौत पर जांच समिति की हालिया रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि मौत का कारण चिकित्सकीय लापरवाही नहीं थी.
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद डॉक्टरों को दंडित किया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. यह निर्णय प्रतिबंधित दवाओं और सलाइन के षडयंत्र से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है। एसडीएफ की ओर से हम इस अन्यायपूर्ण निलंबन आदेश को हटाने की मांग करते हैं.
दूसरी ओर, जूनियर डॉक्टरों का दावा है कि वे वरिष्ठ डॉक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में काम करते हैं. जूनियर डॉक्टरों का मानना है कि इस स्थिति में उन पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है. मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के पीजीटी डॉक्टरों का दावा है कि स्वास्थ्य प्रणाली में ‘भ्रष्टाचार’ को छिपाने के लिए उन पर आरोप लगाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “जहां हम लोगों की जान बचाने की कोशिश करते हैं, वहीं हमें समाज का दुश्मन करार देने की कोशिश की जाती है.”
निलंबित डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने विरोध स्वरूप अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. उनकी मांग है कि पहले उचित जांच की जाए. उसके बाद यदि कोई दोषी साबित होता है तो प्रशासन को संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के 12 लोगों को निलंबित करने के फैसले के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ मिदनापुर कोतवाली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है. जिला उप मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने उस शिकायत के आधार पर एफआईआर भी दर्ज कर ली है. इस बीच, बीमार मां रेखा साव के बच्चे का शव पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार रात परिवार को लौटा दिया गया. रेखा के पति संतोष साव और सास पुष्पा साव नवजात का शव अस्पताल से ले गए.