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युवा इंजीनियर का कमाल: दिव्यांगों के लिए बनाई ट्राई साइकिल, अब नहीं फैलाना होगा हाथ

दिव्यांगों की आवश्कयता को देखते हुए बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव के रहने वाले इंजीनियर अजीत ने अपना करिश्मा दिखाया और ऐसा सामान बना दिया, जो आज की तारीख में किसानों और दिव्यांगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है.

अमूमन इंजीनियर प्लेसमेंट की रेस के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं. हर वक्त इसी आस में रहते हैं कि किसी मल्टीनेशनल कंपनी में बेहतर पैकेज के साथ मुझे काम करने का मौका मिल जाए, लेकिन हम आपको बिहार के एक ऐसे इंजीनियर की कहानी बता रहे हैं, जो नौकरी के पीछे नहीं दिव्यांगों और किसानों की जिंदगी को बदलने के लिए दिन-रात लगे हैं. उन्होंने ऐसे कई आविष्कार किए हैं, जो लोगों को चौंका रहे हैं. इंजीनियर अजीत ने बैटरी चलित ट्राई साइकिल चक्की का आविष्कार किया है, जो दिव्यांगों की जिंदगी को बदल देगी. इस अविष्कार के लिए उन्हें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सराहा है.

दिव्यांगों की आवश्कयता को देखते हुए भागलपुर के कहलगांव के रहने वाले इंजीनियर अजीत ने अपना करिश्मा दिखाया और ऐसा सामान बना दिया, जो आज की तारीख में किसानों और दिव्यांगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. आज की तारीख में दिव्यांगों के रोजगार के लिए सरकार कदम उठा रही है. उन्हें ट्राई साइकिल भी बांटी जा रही है, लेकिन इससे वह रोजगार नहीं कर पाते हैं.

इसको देखते हुए इंजीनियर अजीत ने बैटरी चलित ट्राई साइकिल आटा चक्की को तैयार किया है. इस यूनिट को बैटरी मोटर से तैयार किया गया है, जो दिव्यांगों और महिलाओं के लिए फायदेमंद है. इस पर बैठकर दिव्यांग गांव-गांव जाकर मसाला, आटा, सत्तू पीस सकते हैं. उसकी बिक्री भी कर सकते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी तारीफ
इस ट्राई साइकिल को सिडबी के जरिए 10 जरूरतमंदों को वितरित किया गया था. बता दें कि पिछले महीने दरभंगा पहुंचीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने झंडी दिखाकर रवाना किया था. इससे वह आकर्षित भी हुई थीं. इस यूनिट के लिए उड़ीसा राज्य समेत कई जिलों से ऑर्डर मिले हैं, जिसे इंजीनियर और उनकी टीम तैयार करने में जुटी हुई है. कई ट्राई साइकिल चक्की को अजीत ने मॉरीशस भी भेजा है.

इंजीनियर अजीत ने बताया कि आज की तारीख में स्वाभिमान के साथ स्वरोजगार सबकी आवश्यक है. ऐसे में दिव्यांगों के लिए यह ट्राई साइकिल तैयार की गई है. एक बैटरी से ट्राई साइकिल और चक्की दोनों चलती है. इसके ऑर्डर मिल रहे हैं. इसके साथ ही बैटरी से चलने वाले कई कृषि यंत्रों को तैयार किया गया है.

चक्की की कीमत एक लाख 20 हजार रुपए
अजीत ने बताया कि इस बैटरी चलित चक्की की कीमत एक लाख 20 हजार रुपए है और यह बैटरी से चलती है. इसमें लिथियम फेरस फास्फेट बैटरी लगी है, जो एक बार फुल चार्ज करने पर तीन घंटे तक मिल को चला सकती है. इस बैटरी को दो हजार बार चार्ज व डिस्चार्ज किया जा सकता है. वहीं ट्राई साइकिल चक्की का मेंटेनेंस भी जीरो है. इसमें सत्तू, मसाला, गेहूं कुछ भी पीसकर दिव्यांग घर-घर जाकर बेच सकते हैं.

शरीर से दिव्यांग होने के बावजूद अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं. इंजीनियर अजीत ने IIT खरगपुर से अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है. उसके बाद वह भागलपुर में रहकर ही नए-नए आविष्कार कर रहे हैं. वाकई इंजीनियर का यह अविष्कार काबिले तारीफ है. खासकर पीएम मोदी के स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया मुहिम को ऐसे ही युवा आगे बढ़ा रहे हैं.

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