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मुंबई में बना एशिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर: 9 एकड़ जमीन, 12 साल का समय और 200 करोड़ रुपये खर्च

नवी मुंबई में बने इस्कॉन मंदिर के निर्माण में सफेद और भूरे रंग के संगमरमर के पत्थरों का उपयोग किया गया है. मंदिर में एक सप्ताह तक धार्मिक अनुष्ठान चलेंगे. यज्ञ व अन्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रमों की तैयारियां शुरू हो गई हैं. भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का नाम श्री श्री राधा मदन मोहन है.

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर नवी मुंबई के खारघर में बनाया जा रहा है. इस मंदिर का उद्घाटन का कार्यक्रम 9 जनवरी से शुरू हो चुका. 15 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई आएंगे और इस इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन करेंगे. यह मंदिर नौ एकड़ में बनाया गया है. यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से निर्मित है. इस मंदिर के हॉल में भगवान कृष्ण की लीलाओं को 3डी तस्वीरों के जरिए दिखाया गया है. उद्घाटन समारोह में भजन सम्राट अनुप जलोटा, अभिनेत्री हेमा मालिनी और कई अन्य सम्मानित अतिथि शामिल होंगे.

इस मंदिर के लिए सिडको (महाराष्ट्र के शहर और औद्योगिक विकास निगम) ने जगह उपलब्ध कराई थी, जिसके बाद ढाई एकड़ जमीन पर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. भगवत गीता का प्रचार करने वाली संस्था इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने इस मंदिर का निर्माण कराया है. यह मंदिर नवी मुंबई के खारघर सेक्टर 23 में बनाया गया है और इस मंदिर को बनाने में 12 साल लगे हैं.

इस मंदिर के निर्माण में सफेद और भूरे रंग के संगमरमर के पत्थरों का उपयोग किया गया है. मंदिर में एक सप्ताह तक धार्मिक अनुष्ठान चलेंगे. यज्ञ व अन्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रमों की तैयारियां शुरू हो गई हैं. भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का नाम श्री श्री राधा मदन मोहन है. 15 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मंदिर का उद्घाटन करेंगे. मंदिर के ट्रस्टी और मुख्य चिकित्सक सूरदास प्रभु ने कहा कि सांस्कृतिक केंद्र और वैदिक संग्रहालय की आधारशिला का भी पूजन किया जाएगा.

दुनिया भर में लगभग 800 इस्कॉन मंदिर
इस्कॉन मंदिर के कई दरवाजे चांदी से बने हैं. दरवाजों पर शंख, चक्र और ध्वजा की सुनहरी छवियां बनी हुई हैं. इस मंदिर का निर्माण ग्लोरी ऑफ महाराष्ट्र योजना के तहत किया गया है. इस्कॉन मंदिर के संस्थापक श्रील प्रभुपाद की तीन मूर्तियों, भारत और विदेशों में उनके अनुयायियों की मूर्तियों, उनकी छवियों और उनके ग्रंथों के साथ एक स्मारक का निर्माण किया गया है. दुनिया भर में लगभग 800 इस्कॉन मंदिर हैं, लेकिन नवी मुंबई में यह एकमात्र मंदिर होगा, जहां इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपाद जी का स्मारक बनाया गया है.

अब तक 200 करोड़ रुपए खर्च
सूरदास महाराज ने कहा कि इस मंदिर निर्माण के लिए मैं सभी का आभारी हूं. हम गीता के संदेश को फैलाने के लिए दूर-दूर तक जाते हैं. हम भक्तों से निवेदन करते हैं कि वह भी मंदिर बनाएं. इस मंदिर के निर्माण में 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. जब हमने मंदिर बनाने के बारे में सोचा तो पैसा का ख्याल आया. आखिर कहां से आएगा इतना पैसा? जमीन के लिए 3,500 से 4,000 हजार लोगों से मदद ली गई. मंदिर निर्माण में जनभागीदारी बहुत जरूरी है.

मंदिर परिसर को सजाया गया

इस मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार मौजूद रहेंगे.

अध्यात्म के क्षेत्र में एक नया केंद्र
सूरदास महाराज ने कहा कि यह मंदिर नवी मुंबई क्षेत्र में आध्यात्मिकता का एक नया केंद्र बनकर उभरेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से हमें और ताकत मिलती है. वर्तमान परिवेश में इसकी सभी को आवश्यकता है. यह मंदिर लोगों को न केवल भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण प्रदान करता है, बल्कि उनके बेचैन मन को शांत भी करता है. सूरदास महाराज ने आगे कहा कि हम बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए कायरतापूर्ण हमले की निंदा करते हैं. उन्होंने बांग्लादेश के प्रति भारत की नीतियों का समर्थन किया है.

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