भारत में जब McDonald और KFC जैसी रेस्टोरेंट फ्रेंचाइजी नहीं आई थी, तब फ्रेंच फ्राइज को ढूंढना बहुत मुश्किल था, क्योंकि ये तब सिर्फ बड़े होटलों में मिलता था और उन्हें भी फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज इंपोर्ट करना पड़ता था. आज कहानी बदल चुकी है और अब पूरी दुनिया में भारत के बने फ्रेंच फ्राइज ही खाए जाते हैं. आखिर कितना बड़ा है इसका कारोबार?
फ्रेंच फ्राइज, ये ऐसा स्नैक है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद आता है. लेकिन 1990 के दशक में हालात ऐसे थे जब भारत में फ्रेंच फ्राइज आसानी से मिलते थे नहीं थे और फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज को देश में अमेरिका और यूरोप से इंपोर्ट करना पड़ता था. फिर देश में उदारीकरण के बाद कई इंटरनेशनल रेस्टोरेंट चेन आई और फ्रेंच फ्राइज मिलना आसान हो गए. अब हालात अलग हैं और दुनियाभर में फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज भारत से ही एक्सपोर्ट होते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये कारोबार अब कितना बड़ा हो चुका है?
भारत में लैंब वेस्टन ने 1992 में फ्रेंच फ्राइज का इंपोर्ट करना शुरू किया था और उसे बड़े-बड़े होटलों को सप्लाई करना शुरू किया. इसके बाद 1996 में मैक्केन ने भारत में फ्रेंच फ्राइज बेचने शुरू और फिर उसके बाद मैकडोनाल्ड इंडिया में आ गया और फ्रेंच फ्राइज का लोकलाइजेशन शुरू हो गया.
भारत से होता है 1500 करोड़ का एक्सपोर्ट
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत से फ्रेंच फ्राइज के एक्सपोर्ट का बिजनेस अगर देखा जाए, तो वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 1,35,877 टन फ्रेंच फ्राइज का एक्सपोर्ट किया है. ये करीब 1,478.73 करोड़ रुपए की वैल्यू का एक्सपोर्ट है. अप्रैल से अक्तूबर 2024 में ही भारत का फ्रेंच फ्राइज एक्सपोर्ट 1,06,506 टन का रहा है. ये 1,056.92 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट है.
केएफसी, बर्गर किंग औा मैकडोनाल्ड जैसी बड़ी रेस्टोरेंट चेन भी B2B सेगमेंट में काफी मात्रा में फ्रेंच फ्राइज की सप्लाई करती हैं. भारत में हर साल 1 लाख टन से अधिक फ्रेंच फ्राइज की खपत होने का अनुमान है.
भारत आज फिलीपींस से लेकर थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, जापान और ताईवान जैसे देशों को फ्रेंच फ्राइज की सप्लाई करता है. इस काम को करने में हाईफन फूड्स, इस्कॉन बालाजी फूड्स, फनवेव फूड, चिलफिल फूड्स और जे. आर. सिमप्लॉट जैसी कंपनियां शामिल हैं.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक
भारत से फ्रेंच फ्राइज के एक्सपोर्ट की बड़ी वजह इसका दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश होना है. भारत में हर साल 6 करोड़ टन आलू का उत्पादन होता है. भारत से आगे सिर्फ चीन है जो हर साल 9.5 करोड़ टन आलू का उत्पादन करता है.