Mahakumbh Stampede: चश्मदीदों ने बताया महाकुंभ भगदड़ का सच, सोते हुए लोगों पर चढ़ी भीड़

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महाकुंभ भगदड़ में कुल 30 लोगों की जान चली गई. वहीं 60 लोग घायल हो गए. इनमें से 36 लोगों का अभी भी प्रयागराज के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. वहीं हादसे के बाद कई चश्मदीद मौनी अमावस्या की उस रात की कहानी बयां कर रहे हैं, जब संगम क्षेत्र में भगदड़ मची थी.

प्रयागराज में महाकुंभ हादसे के बाद मृतकों और घायलों के परिवार सदमे हैं. आए तो सभी संगम में डुबकी लगाने थे, लेकिन साथ में अपने परिजनों की लाशें लेकर गए. सभी ने महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े किए और कहा कि ये महाकुंभ कभी न जाने वाला दर्द दे गया. जो भगदड़ वाली रात वहां पर थे. दोनों ने उस भयानक रात की सच्चाई बताई और बताया कि कैसे हादसा हुआ? इन दोनों शख्स का नाम विवेक कुमार दुबे और राहुल मिश्रा है.

विवेक कुमार दुबे और राहुल मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या की रात के तकरीबन 12 बजे अनाउंसमेंट हुआ कि ‘अमृत स्नान’ का समय हो गया है. संगम द्वार के बाहर जनता लाखों की तादाद में सोई हुई थी. आने-जाने वाला रास्ता एक ही कर दिया गया था. चूंकि लोग दूर-दूर से सफर करके आए थे तो ऐसे में वह संगम के किनारे ही सो गए, ताकि भोर में स्नान करने के बाद वहां से निकल सकें.

रात 12 बजे पुलिस वाले जबरन लोगों को हूटर बजा के उठा रहे थे और कह रहे थे कि अमृत बरस रहा है, अभी जाके नहा लो. इसके बाद श्रद्धालु संगम नोज की तरफ निकल पड़े. अब जो पब्लिक आ रही थी, वो और जो सोई हुई थी वो भी साथ हो गए. संगम नोज पर पब्लिक का दबाव बढ़ चुका था. पुलिस दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी. उनका फोकस अखाड़ों के स्नान पर था.

खुद की जान बचाने के लिए लोगों के ऊपर से गुजरा
अचानक संगम नोज पर आने-जाने वाली भीड़ एक हो गई. सोए हुए लोगों पर चढ़ने लगे, जो लोग नहा कर कपड़े पहन रहे थे और जो लोग अपनों का इंतजार कर रहे थे, उन पर भीड़ चढ़ बैठी. विवेक कुमार दुबे ने बताया कि दो लोगों को तो मुझे कुचल कर जाना पड़ा. अगर मैं गिर जाता तो शायद मैं भी मृतकों में शामिल होता. पब्लिक का रेला लगातार बढ़ रहा था. उस दौरान सब खुद की जाना बचाना चाहते थे. भीड़ में दम घुट रहा था. बुजुर्ग और कमजोर लोग मारे गए या जो चलने की स्तिथि में नहीं थे वो मारे गए.

विवेक कुमार दुबे और राहुल मिश्रा ने बताया कि वह लोग 12:15 बजे पर संगम किनारे गए और देर रात 2:15 बजे पर वहां से निकले. उन लोगों की हिम्मत जवाब दे गई थी. दिमाग शून्य हो गया था. हमारा पुनर्जन्म हुआ है. दो बजे के बाद एम्बुलेंस आई. पहले शवों को लेकर गई. वहां पड़े घायलों को तो जनता ने ही उठाया.

हादसे में 30 श्रद्धालुओं की हो गई मौत
बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन हुए हादसे में कुल 30 लोगों की मौत हो गई. वहीं 60 लोग घायल हो गए. प्राथमिक उपचार के बाद 24 घायलों को उनके परिजन घर लेकर चले गए, जबकि 36 का इलाज अस्पताल में चल रहा है. वहीं सीएम योगी ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का ऐलान किया. साथ ही हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए.

Alisha Rana

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