वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश करेंगी, जिसमें कई सारे अहम फैसले हो सकते हैं. सभी वर्गों को बजट से उम्मीदें भी हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि देश का बजट पहले सिर्फ अंग्रेजी में छपता था. बाद में यह हिंदी में भी छपना शुरू हुआ. आइए जानते हैं कब और किसकी बजह से हिंदी में बजट छपना शुरू हुआ.
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी, जिससे देश को सभी वर्गों को अपने तयी कई सारी उम्मीदें हैं. किसी को आयकर में छूट है, तो किसी को केसीसी की लिमिट बढ़ने की उम्मीद है. 24 जनवरी से हलवा सेरेमनी के बाद से बजट की औपचारिक शुरुआत हो गई है. हम आपको बजट से जुड़े एक फैक्ट के बारे में बताने जा रहे हैं कि भारत का बजट पहली बार हिंदी भाषा में कब छपना शुरू हुआ. हालांकि, ये जानने से पहले हमें उसका बैकग्राउंड जानना जरूरी है.
केंद्रीय बजट देश के वित्त मंत्री पेश करते हैं, इसमें देश के बजट के बारे में जानकारी दी जाती है. सरकार किस सेक्टर के लिए कितना पैसा खर्च करेगी. कहां छूट देगी कहां टैक्स ज्यादा लगेगा. इन सबका पूरा ब्यौरा होता है. हालांकि, जीएसटी के अलग होने से बजट में ज्यादा छूट का ऐलान नहीं होता है. फिर भी देश के आगामी खर्चे का एक खाका देश के सामने बजट के तौर पर पेश किया जाता है. इसे सरकार वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग और अर्थशास्त्रियों के सहयोग और परामर्श से तैयार करती है और फिर लोगों के हित को ध्यान में रखकर इसे पेश करती है.
देश का बजट
पहले जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन था. हम ब्रिटिश सत्ता की नीचे सांस लेने को मजबूर थे. तब भी उस वक्त की सरकार यानी ब्रिटिश सरकार बजट पेश करती थी. हालांकि तब का बजट अंग्रेजी अधिकारियों और देश के कुछ संभ्रांत लोगों के लिए होता था. साल 1860 में ब्रिटिश एमपी जेम्स विल्सन ने देश के लिए पहला बजट पेश किया, जिसकी भाषा अंग्रेजी थी. अंग्रेजी होने के पीछे का मतलब सीधा सा था कि तब का बजट अंग्रेजी हुक्मरानों के लिए होता था न कि आम जनता के लिए.
देश आजाद हुआ और बजट बनते रहे, अंग्रेजी में छपते रहे. लेकिन साल 1956 में पहली दफा देश के मौजूदा वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने बजट को अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी छपवाने का फैसला किया, जिसके बाद से ही बजट अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी छपना शुरू हुआ.