Sana Sultan: बिग बॉस फेम सना सुल्तान ने अपने निकाह की गुड न्यूज दे दी है। एक्ट्रेस ने एक पोस्ट शेयर कर मोहम्मद वाजिद के साथ निकाह की अनाउंसमेंट कर दी है। हालांकि, अभी तक सना ने अपने शौहर का चेहरा दुनिया को नहीं दिखाया है।
अब फैंस भी जानना चाहते हैं कि आखिर सना सुल्तान ने जिससे शादी की है वो कौन हैं और कैसे दिखते हैं? फिलहाल अभी उस बारे में तो ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन अब सना सुल्तान ने फैंस को एक खास अपडेट दे दिया है।
रुखसती को लेकर सना ने दिया अपडेट
सना सुल्तान ने अब अपने लेटेस्ट पोस्ट में रिवील किया है कि उन्होंने अभी सिर्फ मोहम्मद वाजिद के साथ निकाह किया है, लेकिन उनकी रुखसती अभी तक नहीं हुई है। अब आप भी अगर सोच रहे हैं कि सना की रुखसती कब होगी तो एक्ट्रेस ने खुद ही फैंस को इस सवाल का जवाब दे दिया है। उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपने निकाह नामे की तस्वीर शेयर की है और एक खास नोट भी लिखा है।
कब होगी सना सुल्तान की रुखसती?
एक्ट्रेस ने लिखा, ‘अभी सिर्फ निकाह हुआ है, रुखसती दिसंबर में… तब इंशाअल्लाह दावत में मैं अपने सभी प्रियजनों को बुलाऊंगी! पर निकाह मुझे इसी सादगी से चाहिए था, मदीने में… (सपना था जो उस रब्ब ने पूरा किया) यहां मेरे और वाजिद के माता-पिता के बीच… बहुत सारी दुआ करिएगा।’ यानी एक्ट्रेस ने भले ही शादी कर ली है, लेकिन उनकी विदाई में अभी वक्त है। इसके साथ ही सना खान ने एक पोस्ट शेयर कर अपने चाहने वालों को कहा कि वो उनके फोन या मैसेज का जवाब नहीं दे पाएं तो वो बुरा न मानें।
सना सुल्तान ने शेयर किया पोस्ट
इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धार्मिक शिक्षा किसी के लिए समस्या नहीं हो सकती। कानून को समाप्त करने के बजाय आवश्यक विषयों को साथ पढ़ाने और शिक्षा को व्यापक बनाने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा था कि पूरे कानून को रद्द कर देना बच्चे को नहाने के पानी के साथ फेंक देने जैसा है। इससे कई तरह की खामियां पैदा होंगी और मदरसा शिक्षा अनियमित हो जाएगी। अल्पसंख्यकों की पुरानी संस्कृति को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। वे कई सौ साल से देश का हिस्सा हैं।
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बाल अधिकार आयोग ने किया था विरोध
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा था धार्मिक निर्देश केवल मुस्लिमों के लिए नहीं हो सकते। वे हिंदुओं, ईसाइयों और सिखों पर भी लागू होते हैं। भारत में संस्कृतियों और सभ्यताओं के साथ धर्मों का मिश्रण भी जरूरी है। इन सबको सुरक्षित रखा जाए। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी मदरसा शिक्षा का विरोध किया था।
आयोग का तर्क था कि मदरसा शिक्षा संविधान के अनुरूप नहीं है। धार्मिक शिक्षा मुख्यधारा के अनुरूप नहीं हो सकती। इसके विपरीत यूपी सरकार ने कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि हाई कोर्ट को पूरे कानून को अंसवैधानिक नहीं मानना चाहिए। बता दें कि इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद यूपी के मदरसों को अपना काम जारी रखने की अनुमति मिल गई थी।