YABA टैबलेट: छोटी गोली का बड़ा नशा, म्यांमार से भारत तक फैला जहर

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त्रिपुरा में हाल ही में 3.9 लाख याबा टैबलेट बरामद किए गए. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत 78 करोड़ रुपये है. याबा को विनाशकारी प्रभावों के लिए जाना जाता है. भारत, म्यांमार, थाईलैंड और बांग्लादेश में इसका अच्छा खासा इस्तेमाल होता है. इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम होते हैं, जिसमें दिल की बीमारियां और मृत्यु भी शामिल है.

त्रिपुरा में हाल में एक 3.9 लाख याबा टैबलेट की एक खेप बरामद की गई. अधिकारियों के मुताबिक, जो खेप बरामद हुई है इंटरनेशनल मार्केट में उसकी कीमत 78 करोड़ रुपये है. इस टैबलेट को गुलाबी गोली के तौर पर भी जाना जाता है. इस गोली का नशा भारत में ही नहीं म्यांमार, थाईलैंड और बांग्लादेश में भी है. छोटे से दिखने वाले इस ड्रग का सुरूर बड़ा होता है.

याबा टैबलेट को अपने विनाशकारी प्रभावों के लिए जाना जाता है. ड्रग सिंडिकेट्स याबा टैबलेट को खासतौर से उन क्षेत्रों में सप्लाई करते हैं जहां की आबादी कम होती है. याबा टैबलेट को सस्ती लाल या गुलाबी गोलियों के रूप में बेचा जाता है. ये मेथमफेटामाइन और कैफीन का मिश्रण होता है.

सेवन करने के बाद नहीं आती नींद
बताते हैं इसका सेवन करने के बाद नींद नहीं आती है. इस ड्रग्स को लेने वाले एक बांग्लादेशी युवक ने बताया था कि वो 10 दिन नहीं सोया था. उसने कहा कि सुबह, दोपहर, शाम, फिर देर रात याबा ले रहा था. फिर पूरी रात काम कर रहा था और बिस्तर पर नहीं जा रहा था. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि याबा के इस्तेमाल के शुरुआती दौर में इसके काफी सकारात्मक प्रभाव होते हैं. याबा के साथ हर चीज को बढ़ाया जाता है.

बताया जाता है कि याबा लेने के बाद शख्स ज्यादा मिलनसार हो जाता है. वो संगीत, सिगरेट का अधिक आनंद लेता है. इसको लेने के बाद आप अधिक देर तक जागते हैं. आपके पास अधिक ऊर्जा होती है. आप अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं. यह शराब या हेरोइन जैसा नहीं है, लेकिन इसकी लत बहुत ही खतरनाक है.

याबा पहली बार 2002 में बांग्लादेश में मिला. तब से इसका इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल दोनों लगातार बढ़ गया है. इसे म्यांमार में तैयार किया जाता है. तस्करी से इसे बांग्लादेश में लाया जाता है. बांग्लादेश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. तस्कर भारी मात्रा में यहां याबा डंप कर रहे हैं और एक कैप्टिव बाजार बनाने के लिए इसे सस्ते में बेच रहे हैं.

थाई में क्रेजी मेडिसिन
याबा को थाई में क्रेजी मेडिसिन कहते हैं. दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में इसका उत्पादन होता है. यह अमेरिका में एशियाई समुदायों में खासा लोकप्रिय है. याबा को टैबलेट के रूप में बेचा जाता है. ये गोलियां आमतौर पर पेंसिल इरेजर से बड़ी नहीं होती हैं. ये चमकीले रंग के होते हैं. आमतौर पर लाल-नारंगी या हरे रंग के.

इसका सेवन आमतौर पर मौखिक रूप से किया जाता है. इसकी गोलियां कैंडी (अंगूर, संतरा, या वेनिला) जैसे स्वाद वाली होती हैं. इसे एल्युमिनियम फॉयल पर रखा जाता और इसे नीचे से गर्म करते हैं.

मौत तक हो सकती है
जो लोग याबा का इस्तेमाल करते हैं उन्हें मेथामफेटामाइन के अन्य रूपों के उपयोगकर्ताओं के समान ही जोखिम का सामना करना पड़ता है. इसमें ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हार्टबीट बढ़ जाती है. मस्तिष्क में स्ट्रोक होने का खतरा रहता है. इसके लगातार इस्तेमाल से मृत्यु तक हो सकती है. याबा अवैध है, क्योंकि इसमें मेथम्फेटामाइन शामिल है, जो नियंत्रित पदार्थ अधिनियम के तहत अनुसूची II पदार्थ है.

Alisha Rana

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