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10 साल में कितना बदल गया है सलमान खान का BIGG BOSS? गिरती TRP और ट्रोलिंग के पीछे ये हैं 5 बड़ी वजह

Bigg Boss: बिग बॉस देखने वालों की तादात लाखों में हैं. भले ही इस शो पर बायस्ड होने के कितने ही आरोप क्यों न लगते हों, लेकिन शो के फैन्स की वफादारी देखने लायक होती है. हालांकि पिछले 10 साल में सलमान खान का शो काफी बदल गया है, जिसका सीधा असर बिग बॉस की TRP पर पड़ा है.

Bigg Boss: बिग बॉस को कम शब्दों में समझाया जाए तो ये एक ऐसा घर है, जहां लोग एक-दूसरे के मामलों में टांग अड़ाते हैं…एक-दूसरे से बेवजह झगड़ते हैं और तो और इस घर में अगर आप किसी के बीच बोलते हैं, तो आप गलत हैं और अपनी बात न रखें तो फिर तो आप गलत हैं हीं. इससे भी ऊपर कमाल की बात ये है कि इन लड़ाई-झगड़ों को दर्शक बड़ी खुशी-खुशी देखना पसंद भी करते हैं. कई लोग तो इस शो को सलमान खान की वजह से भी पसंद करते हैं. लेकिन बीते 10 साल में बिग बॉस काफी हद तक बदल चुका है. बीच-बीच में कुछ सीजन की TRP काफी ऊपर पहुंची थी. लेकिन बीते कुछ साल से मामला ठंडा नजर आ रहा है. चलिए उन 5 वजह पर विस्तार से चर्चा करते हैं, जो बिग बॉस की गिरती फैन फॉलोइंग के पीछे की बड़ी वजह हैं.

बार-बार बदलते नियम – बिग बॉस 18 ने दर्शकों को इस बार ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये आखिर चल क्या रहा है? पिछले सीजन तक जो बिग बॉस पर्सनैलिटी का शो हुआ करता था, इस साल वो शो रिश्तों का शो बना दिया गया है. खुद बिग बॉस कई बार ये कहते हुए नजर आए कि ये शो रिश्तों का है. हालांकि जब करणवीर मेहरा ने अपने बनाए रिश्तों के लिए स्टैंड लिया, तो उन्हें ये कहकर फटकार लगाई गई कि तुम अपने लिए खेलने आए हो या दोस्तों के लिए. बिग बॉस ने कई बार अपने बनाए नियम खुद तोड़े हैं. जो लोग इस शो को सालों से देखते आ रहे हैं, वो बिग बॉस के बार-बार बदलते नियमों से तंग आ चुके हैं.

किसी के लिए बायस्ड होना – हर सीजन में ये देखने को मिलता है कि बिग बॉस का कोई न कोई कंटेस्टेंट फेवरेट होता है. बिग बॉस 18 में खुद बिग बॉस ये बता चुके हैं कि उनके लाडले विवियन डीसेना हैं. विवियन के लिए शुरुआत से ही बिग बॉस के दिल में सॉफ्ट कॉर्नर देखा गया है. उनके खिलाफ कोई बात भी करता है, तो बिग बॉस खुद उसे टोक देते हैं या उसका भांडा फोड़ देते हैं. यहां तक कि बिग बॉस के टास्क भी उन्हीं के फेवर में नजर आते हैं. फिर चाहे वो टिकट टू फिनाले का ही टास्क क्यों न हो.

एक तरफा फैसला सुनाना – बिग बॉस में कई बार देखा गया है कि मेकर्स एक तरफ फैसला सुनाते हैं. बिग बॉस को भी अब तो ट्रोलिंग की आदत हो गई है, उन्होंने इस बात को एक्सेप्ट भी कर लिया है. इसलिए वो फैसला सुनाने के बाद खुद ही कमेंट भी कर देते हैं कि लोग उन्हें अब बायस्ड कहें या किसी का फेवर करना. उन्हें अब इससे फर्क नहीं पड़ता.

नैरेटिव सेट करना – बिग बॉस 18 में ऐसा कई बार देखा गया है कि बिग बॉस ने खुद नैरेटिव सेट करने की कोशिश की है. शो के होस्ट में भी इस सीजन में कई बार ऐसे स्टेटमेंट दिए, जिन्हें सुनने के बाद रोज शो देखने वाले लोग भी हैरान-परेशान हैं. इस सीजन में बिग बॉस ने विवियन के खिलाफ नैरेटिव सेट करने वाले कंटेस्टेंट्स को रोकते हुए खुद उनके लिए नैरेटिव सेट किए हैं.

बिना वोटिंग के कंटेस्टेंट्स को बाहर निकालना – बिग बॉस का कुछ सालों पहले तक ये नियम था कि घर से बेघर करने का हक सिर्फ और सिर्फ जनता का ही होगा. लेकिन कुछ सालों में देखा गया है कि बिग बॉस किसी ऐसे कंटेस्टेंट्स को टास्क के दौरान घरवालों से ही बाहर निकलवा देते हैं, जो उनके निशाने पर होता है. शो के मेकर्स टास्क या ऐसी सिच्यूएशन क्रिएट कर देते हैं, जो उस कंटेस्टेंट को बेघर कर देती है. फिर चाहे वो अंकित गुप्ता हो या इस सीजन के दिग्विजय राठी.

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