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दिल्ली चुनाव में सट्टा किंग ने बदले समीकरण, किसका पलड़ा भारी, जानिये यहां

सट्टा किंग ने दिल्ली चुनाव को लेकर अपनी भविष्यवाणी में बदलाव कर दिया है। खास बात है कि राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र के सट्टा किंग भी कांग्रेस से खासी नाराज दिख रहा है।

Prediction on delhi election 2025: दिल्ली चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कार्यक्रम रद्द हो गया। ऐसे में चर्चा चल रही है कि कहीं पर्दे के पीछे कांग्रेस और आप के बीच समझौता तो नहीं हो गया है। कांग्रेस समर्थकों की मानें तो राहुल गांधी का गला खराब था, जिस कारण उन्हें जनसभाएं रद्द करनी पड़ी। वहीं, भाजपा समर्थकों की दलील है कि अगर गला खराब होता तो कम से कम रोड शो तो कर सकते थे ताकि जनता को पता चलता कि कांग्रेस दिल्ली चुनाव जीतने की दौड़ में हैं। बहरहाल, राहुल गांधी के इन कार्यक्रमों के रद्द होने की सही वजह तो नहीं पता, लेकिन चुनाव नतीजों पर भविष्यवाणी करने वाला सट्टा बाजार नाराज हो गया है। शायद यही वजह है कि राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार ने अपनी दिल्ली चुनाव को लेकर भविष्यवाणी में बदलाव कर दिया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र के सट्टा किंग ने भी कांग्रेस को दिल्ली चुनाव का सबसे बड़ा कमजोर खिलाड़ी बता दिया है।

कांग्रेस की हार पक्की और भाजपा भी डूबेगी
सबसे पहले राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार की बात करते हैं, जिसने कुछ दिन पहले भविष्यवाणी की थी कि आप और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होगी, लेकिन आम आदमी पार्टी जीत जाएगी। लेकिन कांग्रेस 4 से 5 सीटें भी हासिल कर लेती है, तो आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। फलोदी सट्टा बाजार ने अपने पहले अनुमान में भाजपा को 25 से 35 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। अब फलोदी सट्टा बाजार ने अपने समीकरण बदल दिए हैं। ताजा समीकरणों के मुताबिक भाजपा को अब 29 से 31 सीटें मिलने का अनुमान है, जो कि पहले अनुमान से 5 से 6 सीटें कम हैं। ऐसे में भाजपा के लिए दिल्ली में सरकार बनाना मुश्किल होगा।

कांग्रेस को नहीं मिला सट्टा किंग से समर्थन
फलोदी सट्टा बाजार ने पहले अनुमान में कांग्रेस को तीन से चार सीटों पर जीतने की संभावना जताई थी। अब फलोदी सट्टा बाजार ने एक भी सीट पर कांग्रेस के जीतने की संभावना नहीं जताई है। मतलब साफ है कि सट्टा बाजार को यह लग रहा है कि कांग्रेस दिल्ली चुनाव की दौड़ में शामिल ही नहीं है। भाजपा और आप नेताओं के बयानों को भी देखें तो दोनों दल कांग्रेस को सबसे कमजोर खिलाड़ी मान रहे हैं। खास बात है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तबीयत खराब होने के चलते इन दोनों दलों को कांग्रेस के चुनाव प्रचार पर सवाल उठाने का नया मौका मिल गया है। वहीं, हरियाणा चुनाव में कांग्रेस का खुलकर समर्थन करने वाला सट्टा बाजार भी नाराज हो गया। नीचे लिंक पर क्लिक कर जानिये हरियाणा चुनाव को लेकर सट्टा किंग ने क्या भविष्यवाणी की थी।

आप को मिलेगा स्पष्ट बहुमत
फलोदी सट्टा बाजार ने पहले अनुमान में बताया था कि कांग्रेस ने तीन से चार सीटें जीत ली तो आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। लेकिन अब सट्टा किंग को लग रहा है कि कांग्रेस दौड़ में नहीं है, लिहाजा आम आदमी पार्टी स्पष्ट बहुमत से जीत हासिल कर लेगी। फलोदी सट्टा बाजार ने पहले अनुमान में बताया था कि आप को 33 से 35 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन अब 39 से 41 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है। ऐसे में आम आदमी पार्टी बिना किसी परेशानी के आसानी से सरकार बना लेगी।

महादेव सट्टा बाजार भी कांग्रेस से नाराज
महादेव सट्टा बाजार ने भी दिल्ली चुनाव को लेकर भविष्णवाणी कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में महादेव सट्टा बाजार के हवाले से बताया है कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को 38 से 40 सीटें मिल सकती हैं। बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए, लिहाजा आप की सरकार का बनना तय है। बीजेपी की बात करें तो 25 से 30 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। कांग्रेस की बात करें तो महज दो सीटें ही मिल सकती हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को समर्थन के लिए कांग्रेस के सहारे की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ने वाली है।

कांग्रेस डूबेगी तो बीजेपी भी हारेगी
राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि अगर कांग्रेस ने वापसी नहीं की तो इसका नुकसान भाजपा को ही होने वाला है। दरअसल, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी। भाजपा की बात करें तो 2015 में 3 सीटें और 2020 में 8 सीटें हासिल की। मतलब यह है कि भाजपा के प्रदर्शन में सुधार हो रहा है, जिसकी वजह से इस चुनाव में भी सीटों की संख्या बढ़ना तय है। लेकिन, कांग्रेस को 4-5 सीटें भी नहीं मिलती तो किंग मेकर की भूमिका में भी नहीं आ सकती है।

ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस किंग मेकर की भूमिका में भी नहीं आ सके, तो इसका असर इंडी गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका पर भी पड़ेगा। कारण यह है कि इंडी गठबंधन के सहयोगी दल पहले से राहुल गांधी की बजाए ममता बनर्जी को इंडी गठबंधन के चेहरे की वकालत कर रहे हैं। अगर दिल्ली में कांग्रेस का सुपड़ा साफ रहता है, तो इंडी गठबंधन के इन सहयोगी दलों को फिर से राहुल गांधी पर सीधा हमला करने का मौका मिल जाएगा।

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