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महिला डाक्टर ने लगाई फांसी,तुम्हारे लायक नहीं हूं, धोखा दे रही हूं कहकर

तुम्हारे लायक नहीं हूं, धोखा दे रही हूं कहकर महिला डाक्टर ने लगाई फांसी

बिलासपुर:  सिम्स हास्टल में महिला डाक्टर के फांसी लगाने के मामले की जांच शुरू हो गई है। पुलिस जानकारी के मुताबिक डाक्टर ने फांसी लगाने के पहले अपने दोस्तों को मैसेज किया कि मैं सभी को धोखा दे रही हूं।

साथ ही अपने प्रेमी डाक्टर को भी मैसेज किया कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, धोखा दे रही हूं। इस मैसेज के बाद उसने फांसी लगा ली। पुलिस मामले की जांच कर रही है, ताकि आत्महत्या की वास्तविक वजह सामने आ सके।

सिम्स के गर्ल्स हास्टल में फांसी लगाने वाली डा़ भानुप्रिया सिंह बीते 14 नवंबर को बिलासपुर पहुंची थी और सिम्स के गर्ल्स हास्टल में अपनी सहपाठी महिला दोस्तों के साथ रूकी। इससे पहले उसने अपने घरवालों की जानकारी दी थी कि बिलासपुर में कमर दर्द का इलाज कराउंगी और सारंगढ़ में अपनी सहेली की शादी में शामिल होंगी। इसके बाद सिम्स के एमआरडी में ओपीडी पर्ची कटाकर आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट और मनोरोग वार्ड में जांच भी कराया। यहां दो दिन रहने के बाद 17 नवंबर की दोपहर उसने गर्ल्स हास्टल में फांसी लगा ली।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार फांसी लगाने से पहले डा़ भानुप्रिया ने अपने प्रेमी पेंड्रा निवासी डा. नीरज कंवर, जो वर्तमान में दिल्ली मेडिकल कालेज में पदस्थ हैं, उसके मोबाइल पर मैसेज किया। इसमे लिखा कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, मैं तुम्हे धोखा दे रही हूं। मुझे माफ करना। यह मैसेज देखने के बाद डा़ नीरज ने तत्काल डा़ भानुप्रिया को फोन लगाया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद डा़ अंकित को फोन आया कि भानुप्रिया ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया है। हालांकि ब्यान आदि के आधार पर पुलिस जांच चल रही है। शव को पोस्टमार्टम के बाद स्वजन का सौंप दिया गया है। इसके बाद स्वजन शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए रवाना हो गए।

अक्सर मां को बोलती थी कि मैं मर जाउंगी

डा़ भानुप्रिया के पिता उमेश सिंह ने बताया वह कमर दर्द से काफी दिनों से परेशान रहती थी। मुझसे ज्यादा बातें नहीं करती थी अपनी मां से ज्यादा बात करती थी। कुछ दिन पहले उसने अपनी मां से कहा था कि मैं मर जाउंगी, तो तुम क्या करोगी। उमेश सिंह ने बताया उनको दो बेटा और एक बेटी है।

भाई ने बताया काम को लेकर परेशान थी

मृतका डाक्टर के भाई अखिलेश सिंह ने बताया कि वह अंबिकापुर में कार्यरत थी और काम को लेकर भी परेशान रहती थी। नया काम था इसलिए काम का दबाव था। इसी तरह वह कमर दर्द से भी परेशान चल रही थी, लेकिन उसके बात से यह कभी पता नहीं चलता था कि वह आत्महत्या कर लेगी।

बड़ी संख्या में मौजूद रहे सहपाठी डाक्टर

जैसे ही भानुप्रिया के बैचमेट सहपाठी चिकित्सकों को आत्महत्या की जानकारी लगी। वैसे ही वे सोमवार की दोपहर सिम्स के शवगृह पहुंच गए। यहां सहपाठियों ने बताया कि वह हंसमुख थी। इसके बाद रोते हुए उसे अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान सिम्स के डीन डा़ रमणेश मूर्ति, एमएस डा़ लखन सिंह, डा़ भुपेंद्र कश्यप के साथ अन्य वरिष्ठ चिकित्सक भी मौके पर मौजूद रहे।

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